चाँद की आदतें

चाँद की कुछ आदतें हैं।
एक तो वह पूर्णिमा के दिन बड़ा-सा निकल आता है
बड़ा नक़ली (असल शायद वही हो)।
दूसरी यह, नीम की सूखी टहनियों से लटककर।
टँगा रहता है (अजब चिमगादड़ी आदत!)
तथा यह तीसरी भी बहुत उम्दा है
कि मस्जिद की मिनारों और गुंबद की पिछाड़ी से
ज़रा मुड़िया उठाकर मुँह बिराता है हमें!
यह चाँद! इसकी आदतें कब ठीक होंगी?

यह रचना प्रतिनिधि कवितायें ( राजकमल प्रकाशन ) से ली गयी है।

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रघुवीर सहाय
रघुवीर सहाय
रघुवीर सहाय (९ दिसम्बर १९२९ - ३० दिसम्बर १९९०) हिन्दी के साहित्यकार व पत्रकार थे। रघुवीर सहाय का जन्म लखनऊ में हुआ था। अंग्रेज़ी साहित्य में एम ए (१९५१) लखनऊ विश्वविद्यालय। साहित्य सृजन १९४६ से। पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक नवजीवन (लखनऊ) से १९४९ में। १९५१ के आरंभ तक उपसंपादक और सांस्कृतिक संवाददाता। इसी वर्ष दिल्ली आए। यहाँ प्रतीक के सहायक संपादक (१९५१-५२), आकाशवाणी के समाचार विभाग में उपसंपादक (१९५३-५७)। १९५५ में विमलेश्वरी सहाय से विवाह।