कहानी

चन्द्रदेव से मेरी बातें: राजेंद्र बाला घोष

भगवान चन्द्रदेव! आपके कमलवत् कोमल चरणों में इस दासी का अनेक बार प्रणाम। आज मैं आपसे दो चार बातें करने की इच्छा रखती हूँ।...

राजा निरबंसिया- कमलेश्वर

''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर...

पिता-ज्ञानरंजन

उसने अपने बिस्तरे का अंदाज़ लेने के लिए मात्र आध पल को बिजली जलाई। बिस्तरे फ़र्श पर बिछे हुए थे। उसकी स्त्री ने सोते-सोते...

इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर – हरिशंकर परसाई

वैज्ञानिक कहते हैं, चाँद पर जीवन नहीं है। सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर मातादीन (डिपार्टमेंट में एम. डी. साब) कहते हैं—वैज्ञानिक झूठ बोलते हैं, वहाँ हमारे जैसे...

सिक्का बदल गया- कृष्णा सोबती

खद्दर की चादर ओढ़े, हाथ में माला लिए शाहनी जब दरिया के किनारे पहुँची तो पौ फट रही थी। दूर-दूर आसमान के पर्दे पर...

चीफ़ की दावत-भीष्म साहनी

आज मिस्टर शामनाथ के घर चीफ़ की दावत थी। शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी को पसीना पोंछने की फ़ुर्सत न थी। पत्नी ड्रेसिंग गाउन पहने, उलझे...

प्रचलित