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पंचतंत्र
चन्द्रदेव से मेरी बातें: राजेंद्र बाला घोष
राजा निरबंसिया- कमलेश्वर
पिता-ज्ञानरंजन
इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर – हरिशंकर परसाई
सिक्का बदल गया- कृष्णा सोबती
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पुस्तक समीक्षा : वैशालीनामा
आत्महत्या के विरुद्ध : रघुवीर सहाय
तुमड़ी के शब्द : बद्री नारायण
आधा गाँव : राही मासूम रज़ा
कितने पाकिस्तान : कमलेश्वर
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बुरी आदतों के चक्रव्यूह से बाहर निकलने का सफर
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कहानी
चन्द्रदेव से मेरी बातें: राजेंद्र बाला घोष
राजेन्द्र बाला घोष बंग महिला
भगवान चन्द्रदेव! आपके कमलवत् कोमल चरणों में इस दासी का अनेक बार प्रणाम। आज मैं आपसे दो चार बातें करने की इच्छा रखती हूँ।...
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कहानी
राजा निरबंसिया- कमलेश्वर
कमलेश्वर
''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर...
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कहानी
पिता-ज्ञानरंजन
ज्ञानरंजन
उसने अपने बिस्तरे का अंदाज़ लेने के लिए मात्र आध पल को बिजली जलाई। बिस्तरे फ़र्श पर बिछे हुए थे। उसकी स्त्री ने सोते-सोते...
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कहानी
इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर – हरिशंकर परसाई
हरिशंकर परसाई
वैज्ञानिक कहते हैं, चाँद पर जीवन नहीं है। सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर मातादीन (डिपार्टमेंट में एम. डी. साब) कहते हैं—वैज्ञानिक झूठ बोलते हैं, वहाँ हमारे जैसे...
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कहानी
सिक्का बदल गया- कृष्णा सोबती
कृष्णा सोबती
खद्दर की चादर ओढ़े, हाथ में माला लिए शाहनी जब दरिया के किनारे पहुँची तो पौ फट रही थी। दूर-दूर आसमान के पर्दे पर...
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कहानी
चीफ़ की दावत-भीष्म साहनी
भीष्म साहनी
आज मिस्टर शामनाथ के घर चीफ़ की दावत थी। शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी को पसीना पोंछने की फ़ुर्सत न थी। पत्नी ड्रेसिंग गाउन पहने, उलझे...
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खोई हुई दिशाएं
कमलेश्वर
डिप्टी कलक्टरी
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भीष्म साहनी
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शेखर जोशी