कमलेश्वर

2 लेख
कमलेश्वर का जन्म 6 जनवरी 1932 को मैनपुरी, उत्तर प्रदेश में हुआ। कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। कमलेश्वर का लेखन केवल गंभीर साहित्य से ही जुड़ा नहीं रहा बल्कि उनके लेखन के कई तरह के रंग देखने को मिलते हैं।दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर आसीन कमलेश्वर ने सारिका, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर जैसी कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया कमलेश्वर ने अपने ७५ साल के जीवन में १२ उपन्यास, १७ कहानी संग्रह और क़रीब १०० फ़िल्मों की पटकथाएँ लिखीं। उनकी प्रमुख रचनाएं हैं- उपन्यास - एक सड़क सत्तावन गलियाँ, तीसरा आदमी, डाक बंगला, समुद्र में खोया हुआ आदमी, काली आँधी, आगामी अतीत, सुबह...दोपहर...शाम, रेगिस्तान, लौटे हुए मुसाफ़िर, वही बात, एक और चंद्रकांता, कितने पाकिस्तान, अंतिम सफर। कमलेश्वर ने तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनकी कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ हैं -राजा निरबंसिया, मांस का दरिया, नीली झील, तलाश, बयान, नागमणि, अपना एकांत, आसक्ति, ज़िंदा मुर्दे, जॉर्ज पंचम की नाक, मुर्दों की दुनिया, कस्बे का आदमी, स्मारक आदि। 2005 में उन्हें ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया। उनकी पुस्तक ‘कितने पाकिस्तान’ पर उन्हें साहित्य अकादमी से पुरस्कृत किया।

रचनाएँ

राजा निरबंसिया- कमलेश्वर

''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर...

खोई हुई दिशाएं

सड़क के मोड़ पर लगी रेलिंग के सहारे चंदर खड़ा था। सामने, दाएँ-बाएँ आदमियों का सैलाब था। शाम हो रही थी और कनॉट प्लेस...

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