हिन्दीनामा एक छोटा, मगर प्रतिबद्ध और समर्पित प्रयास है; सभी हिन्दी बोलने, लिखने, पसंद करने और उसे साहित्यिक भाषा के रूप में गहराई से स्थापित होते देखने वाले लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने और रू-ब-रू कराने की।

अनेक हिन्दी पढ़ने और लिखने वाले लोग हिंदीनामा से जुड़े हैं। वे, जो अच्छा लिख रहे हैं और चाहते हैं कि उन्हें पढ़ा जाए, ‘हिन्दीनामा’ उन्हें एक बड़े वर्ग के सामने, उनकी रचनाओं के माध्यम से ला रहा है और वे, जो अच्छा पढ़ना चाहते हैं उन्हें भी यह मौका मिल रहा है कि वे कुछ अच्छे और नए लोगों को पढ़ें।

इस पेज ने नवोदित लेखकों को एक प्रोत्साहन दिया है कि वे बेहतर लिख सकें और भाषा तथा साहित्य में अपना योगदान सुनिश्चित कर सकें। यह पेज समय-समय पर प्रतिष्ठित लेखकों और उनकी रचनाओं से भी युवा वर्ग को परिचित कराता रहा है, चाहे वह उनकी जन्मतिथि/पुण्यतिथि के बहाने हो या अपने यूट्यूब चैनल के बहाने।

‘हिन्दीनामा’ ने पूरा ख़्याल रखा है कि आज के युवाओं की पहुँच कहाँ तक है और हिन्दी को कैसे अनेक माध्यमों से पढ़वाया जा सकता है। आज के दौर में जहाँ सोशल मीडिया पर कविताओं के नाम पर बिना सर-पैर की तुकबंदी की बाढ़ आई हुई है, वहीं ‘हिन्दीनामा’ अपने मंच पर जाने वाली रचनाओं के स्तर को लेकर सजग है।

अब फ़ेसबुक के साथ-साथ इंस्टाग्राम और ट्विटर पर भी ‘हिन्दीनामा’ अच्छे प्रशंसक बटोर चुका है, जिनमें साहित्य तथा सिनेमा जगत की कई प्रसिद्ध हस्तियाँ शामिल हैं। साहित्य की सूक्ष्मताओं से युवाओं को अवगत कराने हेतु ‘हिन्दीनामा’ ने पिछले वर्ष, यानि साल २०१८ में ‘हिन्दीनामा इंटर्नशिप प्रोग्राम’ चलाया।

समय-समय पर कुछ ऑनलाइन प्रतियोगिताएँ भी हिन्दीनामा करवा चुका है। किसी भी प्रकार का बाहरी आर्थिक सहयोग न होने के बावजूद, सदस्यों के ही योगदान से गत वर्ष 16 सितंबर, उर्दू घर में ‘हिन्दीनामा साहित्योत्सव’ का आयोजन किया गया, जिसको उसकी गुणवत्ता के कारण खूब सराहना मिली। फिर दिसंबर में दिल्ली-एनसीआर के नवोदित कवियों के लिए ‘कविता आजकल’ का आयोजन, उसके बाद अब तक विभिन्न महाविद्यालयों में साहित्यिक आयोजनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए ‘हिन्दीनामा’ आजकल साहित्यिक प्रतिनिधियों के माध्यम से देशभर के चुनिंदा महाविद्यालयों में हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार में लगा है।