झाबुआ

झाबुआ आने का ‌मन कई बार हुआ। हमारे लेखक मित्र और IPS अगम जैन यहाँ जिला SP के तौर पर तैनात हैं, उन्होंने कई बार यहाँ की ख़ूबसूरती का वर्णन किया जिससे मैं बिल्कुल वाकिफ़ नहीं था। लेकिन उनके बुलावे पर यहाँ आने के बारे में विचार किया तो चला आया। यह जिला बहुत छोटा है और आदिवासियों से भरा पूरा। यहाँ भील आदिवासियों का एकछत्र वर्चस्व है। भीलों के इलाके में उनके बारे में जब जानना शुरु किया तो एक ख़ास बात यह पता चली कि यहाँ Sex Ratio अधिक है यानि प्रति हज़ार पुरुष स्त्रियाँ ज़्यादा हैं। एक चीज़ और यह कि यहाँ दहेज का चलन तो है परंतु दहेज लड़के के परिवार द्वारा लड़की के परिवार वालों को दिया जाता है। हालांकि अब इस प्रथा को कुप्रथा के तौर पर देखा जाने लगा है और इस तरह के केस धीरे-धीरे कम होने लगे हैं। दहेज देकर ब्याहे गए लड़के बाद में काफी समय तक पत्नी समेत उस रकम के कर्ज को उतारने में साथ-साथ काम करते हैं। लड़कियाँ दहेज लाती हैं इसलिए उन्हें बड़े ध्यान से पाला जाता है। हालांकि अब लोग जागरूक हो रहे हैं और शायद यह कुप्रथा अपने अंतिम चरण में है।

अंकुश कुमार
अंकुश कुमार
अंकुश कुमार हिन्दी साहित्य के प्रति आज के युग में सकारात्मक कार्य करने वाले युवाओं में से एक हैं , इन्होने अपने हिंदी प्रेम को केवल लेखन तक सिमित न करते हुए एक नए प्रयाश के रूप में हिन्दीनामा की शुरुआत की।