बालों में लगे तेल की गंध है उनमें
दाग़ हैं जो पूरियाँ छोड़ते पड़े होंगे
खुश्क हो गयी त्वचा उनकी
सब्ज़ी काटते उंगली भी कट गई थी
सो निशान दिखते हैं अब तक
पहली बार मैंने ध्यान से देखा
माँ का हाथ।
कन्यादान के समय सोचूँगी
कितने निशान के साथ करती है
माँ बेटी को विदा
पुकारे जाने पर सब तो नहीं रुकते
कुछ इसलिए भी जाते हैं कि,
पुकारा नहीं गया
तुम एक बार सदैव पुकारना
हर जाने वाले को
ताकि कोई ग्लानि न रहे
ग्लानि न रहे कि
मौत से पहले
तुम लग सकते थे उसके गले
समाज दोगला है
जो प्रेम की बात करता है
पंखे से उतरे युगल की आख़िरी चिट्ठी
फाड़ दी जाती है
नवविवाहिता के चौथे महीने में बदन पर
दहेज के निशान होते हैं
वृद्ध आंसुओं का साथ देता है
मात्र रात का सन्नाटा
समाज गवाह है;
बेरहमी से मारे गए हैं दरवेश
बगीचा गवाह है कि
तोड़ लिए गए पसंदीदा फूल सदैव
लोगों को महसूस करवाते रहो
कि कितने ख़ूबसूरत हैं वे
आलोचना भी करना तो यूँ कि
कोई बेहतर ही बने
किसी का दिल दुखाने से
ईश्वर की उम्र कम होती है