किताब कैसे छपवाएँ?

मेरी पहली किताब ‘आदमी बनने के क्रम में’ छप जाने के बाद से बहुत से लोग मुझसे यह सवाल करते हैं कि इसकी क्या प्रक्रिया है, कैसे किताब छपवाई जाए या कैसे प्रकाशक तक पहुँचा जाए। उन सभी की समस्या कई बार जटिल मालूम पड़ती है और कई बार आधी-अधूरी जानकारी के कारण वे किसी भी प्रकाशक के साथ छप जाते हैं जिनके द्वारा उनको इस तरह की सुविधा नहीं मिल पाती जैसा उन्होंने सोचा होता है। ऐसे लोगों के लिए मैं यह पोस्ट लिख रहा हूँ ताकि आपके सभी प्रश्नों का उत्तर मिल सके। ये सब मैं मेरी प्रकाशन को लेकर सीमित जानकारी के आधार पर लिख रहा हूँ‌।

किताब छपने के दो मुख्य प्रकार होते हैं, एक जिसमें प्रकाशक आपके लिखे को लेकर आशान्वित होता है और आपके लिखे कंटेंट की गुणवत्ता पर वह स्वयं पैसा खर्च करने का जोखिम उठाता है। ऐसे प्रकाशन को हम ट्रेडिशनल पब्लिशिंग के तौर पर जानते हैं। ट्रेडिशनल पब्लिशर आपकी किताब को पढ़कर यह तय करते हैं कि आपकी किताब उनके तैयार किए गए मापदंडों पर ख़री उतर रही है या नहीं। आमतौर पर आपको प्रकाशकों को अपनी पाण्डुलिपि उन्हें मेल पर भेजनी होती है, जिसका जवाब वे 1-2 माह के भीतर दे देते हैं। हालांकि न छापने की दशा में वे यह बताने के लिए बाध्य नहीं होते कि आपकी पाण्डुलिपि का चयन क्यों नहीं किया गया।

हिन्दी में ऐसे कई प्रकाशन हैं जो ट्रेडिशनल पब्लिशिंग हाउस की कैटेगरी में आते हैं। जिनमें राजकमल प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, हिन्द युग्म, राजपाल एण्ड सन्स, प्रभात प्रकाशन, एका, रैडग्रेब बुक्स आदि शामिल हैं। ऐसे अन्य प्रकाशक भी हैं। जिनको खोजने पर आप उन तक पहुँच सकते हैं।

दूसरा तरीका थोड़ा सा अलग है जिसमें एक ट्रेडिशनस प्रकाशक से आपकी पाण्डुलिपि को अस्वीकार करने के बाद आप अपना सकते हैं। यह तरीका है सेल्फ पब्लिशिंग का। इसमें भी आपको ऐसे बहुत से प्रकाशन मिलेंगे जो आपकी किताब आपकी इच्छानुसार छाप सकते हैं। परंतु इसमें आपको अपनी किताब छपनाने के लिए स्वयं खर्च उठाना होता है।

याद रखें कि एक ट्रेडिशनल प्रकाशक, सेल्फ पब्लिशिंग हाउस नहीं होता। यानि अगर आपका कंटेंट किसी ट्रेडिशनल प्रकाशक द्वारा नकार दिया गया है तो आप सेल्फ पब्लिशिंग की तरह उसे पैसा देकर अपनी किताब नहीं छपवा सकते।

आगे जो सवाल आता है कि किताब के लिए जब पाण्डुलिपि भेजें तो वह लगभग कितने पन्ने की हो या कितने प्रतिशत कंटेंट भेजा जाए। यह बात प्रकाशकों पर भी निर्भर करती है। अगर आप अपनी किताब की पाण्डुलिपि जमा कर रहे हैं और वह एक काव्य संग्रह है तो 25-30 प्रतिनिधि कविताएँ भेज सकते हैं। ऐसे ही उपन्यास के केस में भी आप पूरा उपन्यास न भेजकर उसका लगभग 30-40% प्रतिशत हिस्सा भेज सकते हैं। यह प्रकाशक को जल्दी निर्णय लेने में मदद करता है। अगर प्रकाशक को आपका उपन्यास अच्छा लग रहा होगा तो वह पूरा उपन्यास आप से मंगवा लेगा। मेल भेजते समय यह भी ध्यान रखें कि कवर लैटर भी साथ में भेजें जिसमें आपके उपन्यास का एक छोटा सा समरी हो, कविताओं के केस में आप अपनी कविताओं की विषयवस्तु के बारे में बता सकते हैं।

प्रकाशक के जवाब के बाद आप इस बात से वाकिफ़ हो चुके होंगे कि आपकी किताब किस तरह के पब्लिशिंग की डिमांड कर रही है। यानि ट्रेडिशनल या सेल्फ।

ट्रेडिशनल पब्लिशिंग के मामले में किताब स्वीकृत होने के बाद आपका काम आधा हो चुका होगा‌। बाकी काम आपके साथ निरंतर बातचीत और सहयोग से निपटा लिया जाएगा।

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किताब से संबंधित कुछ काम –
एडिटिंग
प्रूफ़रीडिंग
कवर
ISBN
टाइपसैटिंग
प्रिंटिंग

ऊपर लिखे गए जितने भी काम हैं वे एक किताब को किताब की शक्ल देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए जब आपकी किताब का चयन हो जाएगा। तो ये सारे काम पब्लिशिंग हाउस की जिम्मेदारी होंगे। एडिटिंग के दौरान एडिटर द्वारा उन चीज़ों को कंटेंट से बाहर कर दिया जाता है जिनकी आवश्यकता नहीं लगती। इसके अलावा वाक्य विन्यास भी एडिटर द्वारा सही किया जाता है। प्रूफ़रीडिंग के दौरान आपके द्वारा लिखे गए सभी शब्दों की ग़तलियाँ सही की जाती हैं। कवर किसी आर्टिस्ट द्वारा बनाया जाता है। और टाइपसैटिंग में आपकी किताब पन्नों पर कैसी दिखेगी, मार्जिन व फॉन्ट आदि क्या रहेगा इसका ध्यान रखा जाता है। ISBN के लिए राजा राम मोहन रॉय ISBN एजेंसी से संपर्क कर ISBN नंबर लिया जाता है। जो सभी किताबों का एक यूनिक आइडेंटिटी नंबर होता है। जो एक बार कोड के रूप में किताब के बैक कवर पर प्रिंट भी कर दिया जाता है। ये सब होने के बाद किताब प्रिंट में जाती है जहाँ किताब के कवर सहित अंदर के पन्नों की प्रिंटिंग होने के साथ-साथ उनकी बाइंडिंग कर उसे किताब का रूप दिया जाता है।

सेल्फ पब्लिशिंग मोड में यह सब होता है परंतु इसमें आपका हस्तक्षेप ज़्यादा चल सकता है। जैसे कवर को लेकर, एडिटिंग आदि को लेकर। इसमें कई अलग तरह के मॉडल हैं जिसमें पब्लिशिंग हाउस द्वारा दिए गए पैकेज को आप सिलेक्ट कर सकते हैं। इसमें आपका किसी भी तरह का कंटेंट छप सकता है। बिना किसी ख़ास मशक्कत के। लेकिन दोनों ही केस में आपकी किताब का प्रचलित होना आपके कंटेंट पर ही निर्भर करेगा। ट्रेडिंशनल पब्लिशिंग के साथ उनकी साख जुड़ी होती है इसलिए उनके यहाँ से छपी किसी किताब पर लोग शुरुआत में भी भरोसा कर सकते हैं। लेकिन अंतत: Word of Mouth ही काम आएगा‌, या आपकी पॉपुलैरिटी।‌

किताब में कितनी कविताएँ या पन्ने रहें इस बात को लेकर भी लोग चिंतित रहते हैं। लेकिन फिर भी कम से कम 90-100 पन्ने होंगे तो थोड़ा सा ठीक रहेगा लेकिन इससे कम बहुत कम हो जाएगा। 150-200 पन्नों की किताब एवरेज पन्नों में काउंट होगी। और उससे ज़्यादा फिर आपकी मर्ज़ी‌।

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अंकुश कुमार
अंकुश कुमार
अंकुश कुमार हिन्दी साहित्य के प्रति आज के युग में सकारात्मक कार्य करने वाले युवाओं में से एक हैं , इन्होने अपने हिंदी प्रेम को केवल लेखन तक सिमित न करते हुए एक नए प्रयाश के रूप में हिन्दीनामा की शुरुआत की।