जैनेन्द्र कुमार

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2 जनवरी 1905 को अलीगढ़ में जन्मे जैनेन्द्र कुमार का मूल नाम आनंदी लाल था। प्रेमचंद के बाद उपन्यासों को नई धारा देने का श्रेय जैनेन्द्र को जाता है। उन्होंने उपन्यासों को सामाजिक उपन्यासों के दौर से आगे बढ़ाकर मनोविश्लेषणात्मक परंपरा की शुरुवात की। जैनेन्द्र पात्रों के मन की सूक्ष्मता से पड़ताल करते हैं। जैनेन्द्र की प्रमुख रचनाएं हैं- उपन्यासः 'परख' (१९२९), 'सुनीता' (१९३५), 'त्यागपत्र' (१९३७), 'कल्याणी' (१९३९), 'विवर्त' (१९५३), 'सुखदा' (१९५३), 'व्यतीत' (१९५३) तथा 'जयवर्धन' (१९५६)। कहानी संग्रहः 'फाँसी' (१९२९), 'वातायन' (१९३०), 'नीलम देश की राजकन्या' (१९३३), 'एक रात' (१९३४), 'दो चिड़ियाँ' (१९३५), 'पाजेब' (१९४२), 'जयसंधि' (१९४९) तथा 'जैनेंद्र की कहानियाँ' (सात भाग)। जैनेन्द्र को सन् 1971 में पद्मभूषण तथा 1979 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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