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आपके प्रिय लेखकों द्वारा

पंचतंत्र की कहानियां: मेंढकराज और नाग

एक कुएं में बहुत से मेंढक रहते थे। उनके राजा का नाम था गंगदत्त। गंगदत्त बहुत झगड़ालू स्वभाव का था। आसपास दो-तीन और भी...

कानों में कँगना

1 किरन! तुम्हारे कानों में क्या है?उसके कानों से चंचल लट को हटाकर कहा—कँगना।अरे! कानों में कँगना? सचमुच दो कंगन कानों को घेरकर बैठे थे।हाँ,...

पंचतंत्र की कहानियां: मुर्ख मित्र

किसी राजा के राजमहल में एक बन्दर सेवक के रुप में रहता था । वह राजा का बहुत विश्वास-पात्र और भक्त था । अन्तःपुर...

चन्द्रदेव से मेरी बातें: राजेंद्र बाला घोष

भगवान चन्द्रदेव! आपके कमलवत् कोमल चरणों में इस दासी का अनेक बार प्रणाम। आज मैं आपसे दो चार बातें करने की इच्छा रखती हूँ।...

पंचतंत्र की कहानियां: ब्राह्मण और सर्प

किसी नगर में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण निवास करता था। उसकी खेती साधारण ही थी, अतः अधिकांश समय वह खाली ही रहता था।...

पंचतंत्र की कहानियां : टिटिहरी का जोड़ा और समुद्र का अभिमान

समुद्रतट के एक भाग में एक टिटिहरी का जोडा़ रहता था । अंडे देने से पहले टिटिहरी ने अपने पति को किसी सुरक्षित प्रदेश...

पंचतंत्र की कहानियां: शेर, गीदड़ और मूर्ख गधा

एक घने जङगल में करालकेसर नाम का शेर रहता था । उसके साथ धूसरक नाम का गीदड़ भी सदा सेवाकार्य के लिए रहा करता...