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आपके प्रिय लेखकों द्वारा
कहानी
वाङ्चू
तभी दूर से वाङ्चू आता दिखाई दिया।नदी के किनारे, लालमंडी की सड़क पर धीरे-धीरे डोलता-सा चला आ रहा था। धूसर रंग का चोगा पहने...
भीष्म साहनी
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कहानी
बड़े भाई साहब
मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे, लेकिन केवल तीन दरजे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था जब मैने...
प्रेमचंद
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कहानी
किले में औरत
उस शहर में मुझे सिर्फ तीन दिन रहना था। होने को इन्हीं तीन में से किसी एक दिन मेरी हत्या हो जा सकती थी।...
रघुवीर सहाय
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कहानी
गुल्ली-डंडा
हमारे अँग्रेजी दोस्त मानें या न मानें मैं तो यही कहूँगा कि गुल्ली-डंडा सब खेलों का राजा है। अब भी कभी लड़कों को गुल्ली-डंडा...
प्रेमचंद
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कहानी
साइकिल की सवारी
भगवान ही जानता है कि जब मैं किसी को साइकिल की सवारी करते या हारमोनियम बजाते देखता हूँ तब मुझे अपने ऊपर कैसी दया...
सुदर्शन
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कहानी
गुरुजी
बहुत दिन पहले की बात है। लालू और मैं छोटे-छोटे थे। हमारी उम्र होगी करीब 10-11 साल। हम अपने गांव की पाठशाला में साथ-साथ...
शरतचंद्र चटर्जी
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तरंग गाँव की बात
जग वाली चाय
मई में तीन साल की हो गयी। बाल मनोविज्ञान में विद्वान बताते हैं कि बच्चों के द्वारा चीज़ों को भली-भाँति पकड़कर उठा लेने की...
कोशलेन्द्र मिश्र
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निबंध
एक अद्भुत अपूर्व स्वमप्न
आज रात्रि को पर्यंक पर जाते ही अचानक आँख लग गई। सोते में सोचता क्या हूँ कि इस चलायमान शरीर का कुछ ठीक नहीं।...
भारतेन्दु हरिश्चंद्र
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कविता
चीनी चाय पीते हुए
चाय पीते हुएमैं अपने पिता के बारे में सोच रहा हूँ।आपने कभीचाय पीते हुएपिता के बारे में सोचा है?अच्छी बात नहीं हैपिताओं के बारे...
अज्ञेय
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निबंध
आँगन में बैंगन
मेरे दोस्त के आँगन में इस साल बैंगन फल आए हैं। पिछले कई सालों से सपाट पड़े आँगन में जब बैंगन का फल उठा...
हरिशंकर परसाई
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