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पुस्तक समीक्षा

साक्षात्कार

फिल्म समीक्षा

आपके प्रिय लेखकों द्वारा

अमावस की काली रातों में

मावस की काली रातों में दिल का दरवाजा खुलता है,जब दर्द की काली रातों में गम आंसू के संग घुलता है,जब पिछवाड़े के कमरे...

कसप

मनोहरश्याम जोशी कृत ‘कसप’ वस्तुतः एक प्रेम-कथा है। यह उपन्यास प्रथम दृष्टि में ही अपने विशिष्ट शीर्षक के कारण पाठकों को चौंकाता है। 'कसप'...

कितने पाकिस्तान : कमलेश्वर

विभाजन और हिंसा के बीच पिस रहा मनुष्य सबकी नज़रों में होता है पर उसपर किसी का ध्यान नहीं जाता है या ऐसा कहें...

तीसरे दर्जे के श्रद्धेय

बुद्धिजीवी बहुत थोड़े में संतुष्ट हो जाता है। उसे पहले दर्जे का किराया दे दो ताकि वह तीसरे में सफर करके पैसा बचा ले।...

नारंगियाँ

उस दिन जब मोहल्लेवालों ने देखा कि हरसू ने मोहल्ले के बाहर की नाम को पक्की, पर वास्तव में धूल-भरी सड़क पर पुआल और...

हंसा जाई अकेला

वहाँ तक तो सब साथ थे, लेकिन अब कोई भी दो एक साथ नहीं रहा। दस-के-दसों अलग-अलग खेतों में अपनी पिण्डलियाँ खुजलाते, हाँफ रहे...

ऊँचाई

ऊँचे पहाड़ पर,पेड़ नहीं लगते,पौधे नहीं उगते,न घास ही जमती है। जमती है सिर्फ़ बर्फ़,जो कफ़न की तरह सफ़ेदऔर मौत की तरह ठंडी होती हैखेलती,...

भोर से पहले

सबेरे का वक़्त है। गंगा-स्नान के प्रेमी अकेले और दुकेले चार-चार छः-छः के गुच्छों में गंगा-तट से लौटकर दशाश्वमेध के तरकारीवालों और मेवाफ़रोशों से...

जज साहब

नौ साल हो गए, उत्तरी दिल्ली के रोहिणी इलाके में तेरह साल तक रहने के बाद, अपना घर छोड़ कर, वैशाली की इस जज...

मेरा दुश्मन

वह इस समय दूसरे कमरे में बेहोश पड़ा है। आज मैंने उसकी शराब में कोई चीज़ मिला दी थी कि ख़ाली शराब वह शरबत...